पूरा विश्व
आज अन्तर्राष्ट्रीय बाल कन्या दिवस मना रहा है जिसका उद्देश्य है बाल कन्या को एक ऐसा
माहौल देना जहां उसे असमानता, असुरक्षा,
लिंग भेदभाव आदि बुराइयों से छुटकारा मिल सके। हर साल की तरह इस बार
की थीम है एक कुशल कन्याशक्ति समय की मांग है (A skilled Girlforce Need of
the Hour) जिसका अभिप्राय अभी से ही लड़कियों की शिक्षा में बढ़ोतरी
करना है ताकि आने वाले समय में वे हर प्रकार की टेक्नोलॉजी और डिजिटलाईजेशन से पूरी
तरह स्किल्ड होकर वर्कप्लेस जांए जिससे उनका आर्थिक शोषण ना हो सके।
क्या कहता है इतिहास
विश्व भर में
11 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय बाल कन्या दिवस मनाया गया जिसमें लड़कियों को कुशल बनकर
भविष्य में अपनी स्किल्स को और निखारने पर जोर दिया गया ताकि वे अपने स्किल्ड वर्क
का उतना सदुपयोग कर सकें जितना की पुरूष करते है। आपको बतादे कि इस दिन को मनाने के
पिछे एक वजह विश्व स्तर पर औरतों की हालत के प्रति लोगों को जागरूक करना भी है ताकि
स्थिति और भयावह ना बन पाये। यूनाइटेड नेशन ने 11 अक्टूबर 2011 को अन्तरर्राष्ट्रीय
बाल कन्या दिवस के तौर पर मंजुरी दी जिसे सबसे पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को मनाया गया
तब से औरतों के मुद्दो को समझने और सवालों के जवाब जानने के लिए और उन चुनौतियों से
लड़ने के लिए कई प्रकार के कैंपेन भी चलाए गए।
अनौपचारिक क्षेत्रों में शोषण का खतरा ज्यादा
अगर यूनाइटेड नेशन की माने तो पर एक अरब लोग जिनमें से 60% किशोरियां अगले 10 सालों में अपना कैरियर बनाने के लिए तैयार है पर दुर्भाग्यवश 90% यह बच्चे विकसित देशों के चलते अनौपचारिक क्षेत्रों में ही अपना भविष्य तलाशने लगते है जहां पर फिमेल कर्मचारियों के साथ हर दिन शोषण की घटनाएं पैर पसार रहीं है चाहे वो कम सैलरी पर काम करना हो या फिर कार्यस्थल पर ज्यादा काम लेना हो इसी प्रकार के दमनकारी नितियों से निजात पाना ही इस दिवस का सही मायने में मकसद है वैश्विक संगठन और समुदायों को साथ में आकर काम करना होगा ताकि महिलाएं कार्यस्थल पर खुशी- खुशी काम कर सकें।
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