क्या है एक्जोमून
साइंस एडवांसेस पत्रिका
में प्रकाशित लेख की माने तो खगोल वैज्ञानिकों ने हब्बल एवं केपलर अंतरिक्ष दूरबीनों
की मदद से सौरमण्डल के बाहर पहले चंद्रमा का पता लगाया है जिसका नाम है ‘एक्जोमून’. यह धरती से
8,000 प्रकाश वर्ष दूर एक बड़े गैस से भरे ग्रह के चक्कर लगा
रहा है इतिहास में पहली बार सौरमण्डल के बाहर किसी चंद्रमा की खोज की गई है। पत्रिका की माने तो यह एक्जोमून अपने बड़े
आकार के चलते स्पेशल है।
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पृथ्वी की परिक्रमा करता
हुआ चंद्रमा
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मुख्य बिन्दु:
- हमारे सौरमण्डल से बाहर मौजूद ग्रह को एक्जोप्लैनेट और इसके चंद्रमा यानी उपग्रह को एक्जोमून कहा जाता है।
- इस खोज में जिस टेलिस्कोप की मदद ली गई उसका नाम है ह्यूबल और केपलर स्पेस।
- इस चांद को उसका आकार भी बनाता है स्पेशल, आकार के मामले में इसकी तुलना वरूण ग्रह से की जा सकती है।
- नेप्च्यून के साइज वाला यह एक्सोमून केप्लर- 1625b नामक तारे के चक्कर लगा रहा है, वैज्ञानिक के तौर पर अगर एक्सोमून की पुष्टि हो जाती है तो यह खोज खगोल विज्ञान के इतिहास में बड़ी उपलब्धि साबित होगा।
- अमेरिका स्थ्ति कोलंबिया विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञान के सहायक प्रो. डेविड किपिंग के मुताबिक ठीक प्रकार से पुष्टि हो जाने पर हमें इससे ग्रहीय प्रणाली के विकास के बारे में अहम जानकारी मिलने की संभावना है और इससे विशेषज्ञ, ग्रहों के आस-पास उपस्थ्ति उपग्रहों के निर्माण की संख्या के बारे में और सिद्धांतों पर पुन: गौर करने में मदद मिलेगी।
सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा मून
जैसा की हम जानते है कि
सौरमण्डल का सबसे बड़ा चंद्रमा गेनीमेड है, जो बृहस्पति ग्रह के चक्कर लगाता है। इसका व्यास 5,260
किलोमीटर है जबकी बाहरी चंद्रमा का व्यास 49,000 किलोमीटर है। इस बाहरी चांद का मूल ग्रह
केपलर–1625 है जो इसकी परिक्रमा करता है, अगर बात केपलर की करें तो यह सूर्य की तरह ही एक तारा है, लेकिन आकार में इससे 70 फीसदी ज्यादा बड़ा है। यह चंद्रमा अपने ग्रह से लगभग
30 लाख किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाता है।
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